धन्यवाद ! वृक्ष... धन्यवाद ! - (कविता) - अमन नरवर - हिंदी

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धन्यवाद ! वृक्ष... धन्यवाद !


जब मुझे सूरज की गरमी ने सताया,

तब तुमने मुझे छांव देकर बचाया। 

जब मुझे पेट की भूख ने सताया, 

तब तुमने मुझे फल देकर बचाया। 

जब प्यास लगी थी गजब की, 

तब तुमने मुझे बारिश का पानी देकर बचाया।

जब दुःख से भर गया था जग सारा, 

तब तुमने मुझ पर फूल बरसा कर हँसाया ।

 जब कहर मचा था प्रदूषण का, 

तब तुमने मुझे ऑक्सीजन देकर जीवन दान दिया।

हे वृक्ष तुम तो सचमुच भगवान ही निकले 

तुमने हमें सबकुछ दिया है जो हम चाहते हैं ।।

धन्यवाद ! वृक्ष... धन्यवाद !

- अमन नरवर                                                                            



यह कविता सीमा सन्देश नामक अखबार में 5 जून 2022 को प्रकाशित किया गया है -




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